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- अनँत फल प्रकासिया, गुर दीया बताई। कम थिर बैसि बिछारिया, रामहि ल्यौ लाई। झूठी अनभै बिस्तरी सब थोथी बाई॥ कहै कबीर सकति कछु नाहीं, गुरु भया सहाई॥ आँवण जाँणी...६ KB (३९२ शब्द) - ०३:२५, ३१ मई २०२१
- यह लोग ये गीत गाते है - कुओं के बारे 1) गुर गंगे, गुर बावरे, गुर देवन के देव गुर से चेला अन्त बड़ा, करै गुरु की सेवा। 2) ले राम का नाम, मेरी जोड़ी को...१६ KB (१,१२२ शब्द) - ०४:३६, २५ जुलाई २०२१
- खुदा हुआ, तू ही वाहे गुरु, तू ईश मसीह, हर नाम में, तू समा रहा। तू ही राम है, तू रहीम है, तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ, तू ही वाहे गुरु, तू ईश मसीह, हर नाम...३ KB (२६६ शब्द) - ०४:४०, २३ फ़रवरी २०२४
- नहिं, आरतिहर तोसो।2। ब्रह्म तू ,हौं जीव, तू है ठाकुर, हौं चेरो। तात -मात, गुर -सखा, तू सब बिधि हितू मेरो।3। तोहिं मोहिं नाते अनेक, मानियै जो भावै। ज्यों...२ KB (१३२ शब्द) - ०५:१३, २६ जुलाई २०२१
- होवे हमारी आत्मा। ॥ हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिए...॥ प्रेम से हम गुरु जनों की नित्य ही सेवा करें, प्रेम से हम संस्कृति की नित्य ही सेवा करें। योग...२ KB (१७५ शब्द) - ११:०२, १९ अगस्त २०२२
- विराम अथवा यति होती है। लघु - गुरु विचार - छंदों में मात्राओं अथवा अक्षरों की गणना की जाती है। गणना के लिए लघु - गुरु का विचार आवश्यक है। लघु स्वर अथवा...४ KB (२९६ शब्द) - ०७:११, १७ मई २०२२
- प्रवर्तक आदिकालीन कवि अमीर खुसरो द्वारा रचित है। इस कव्वाली में खुसरो अपने गुरु की ही वंदना कर रहे हैं, जिनके कारण ही उनका परमात्मा से मिलन हुआ। वे कहते...३ KB (२३५ शब्द) - १२:३४, २६ मई २०२०
- है । इसके प्रत्येक चरण में यगण , मगण , नगण , सगण , भगण , अंत में लघु और गुरु क्रम से 17 वर्ण होते हैं तथा इसके छठे अक्षर पर यति ( विराम ) होता है । परिभाषा...९ KB (६९४ शब्द) - ०७:१३, १७ मई २०२२
- निर्गुण कवियों की भाँति कबीर भी गुरू महिमा का बखान करते हैं। कबीर मानते हैं कि - 'गुरु गोबिंद तो एक हैं, दूजा यहु आकार'। वे गुरू को तो ईश्वर से महत्तर स्थान...१७ KB (१,२८९ शब्द) - १०:३५, २२ अप्रैल २०२२
- गुरु अमरदास (जन्म 1479), गुरु रामदास (जन्म 1514), गुरु अर्जुन (जन्म 1563), गुरु तेगबहादुर (जन्म 1622) और दसवें गुरु गोविंदसिंह (जन्म 1664) हैं। गुरु गोविंदसिंह...३३ KB (२,५०२ शब्द) - ०४:५१, २५ जुलाई २०२१
- गुरु अमरदास (जन्म 1479), गुरु रामदास (जन्म 1514), गुरु अर्जुन (जन्म 1563), गुरु तेगबहादुर (जन्म 1622) और दसवें गुरु गोविंदसिंह (जन्म 1664) हैं। गुरु गोविंदसिंह...३३ KB (२,५०२ शब्द) - ०४:५२, २५ जुलाई २०२१
- से लिखा। गुरु अर्जुन ने 16 से 4 ईसवी में इसे संग्रहित किया इसमें शेख फरीद संत कबीर भगत नामदेव और गुरु तेग बहादुर जैसे सूफियों संतों और गुरु की वाणी जोड़ी...२२ KB (१,६२७ शब्द) - ०५:२५, ३० जुलाई २०२१
- में जगण ( ।ऽ।) या तगण (ऽऽ। ) न रखने का विधान है । चौपाई के अंत में ( ऽ। ) गुरु लघु नहीं होने चाहिए । इस छंद के दो चरणों को मिलाकर एक अर्धाली बनती है। जिस...४ KB (३१४ शब्द) - ०६:५७, ७ मई २०२२
- ।ऽ।) नहीं होना चाहिए और अंत में ( ऽ। ) गुरु - लघु मात्रा के साथ सम चरणों को समाप्त होना चाहिए। अंत में ( ऽ। ) गुरु - लघु का क्रम आवश्यक होता है। परिभाषा...६ KB (४२० शब्द) - ०७:२१, १७ मई २०२२
- परवर्ती कवियों ने उल्लेख किया है किन्तु इनके जन्म-संवत,जन्म-स्थान,जाति,कुल, गुरु आदि का उल्लेख किसी भी समकालीन कवि या लेखक ने अपनी रचना में नहीं किया। इसलिए...३ KB (२४९ शब्द) - ०५:०५, २६ जुलाई २०२१
- ।कबीर के दोहे। गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागू पाय। बलिहारी गुरु आपने , गोविन्द दियो बताय|| निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल...१ KB (९४ शब्द) - २०:१७, १६ दिसम्बर २०२१
- यह पद गुरुनानक द्वारा लिखा गया है जो कि सिख संप्रदाय के आदि (प्रथम) गुरु माने जाते हैं। इस पद में मुश्किल शब्दों के शाब्दिक अर्थ को सुपरस्क्रिप्ट में लिखा...२ KB (१०९ शब्द) - ०५:१२, २६ जुलाई २०२१
- भौंरा, हे काग। सो धनि बिरहे जरि मुई, तेहिंक धुआँ हम्ह लाग।। गुरु की प्रतिष्ठा इनके यहाँ गुरु निर्गुण ब्रह्म की प्राप्ति में रत साधक को उसकी मंजिल तक पहुँचाने...१७ KB (१,२०२ शब्द) - ११:०५, ५ मार्च २०२४
- पड़ने वाले दो संत कवियों- महाराष्ट्र के नामदेव (13 वीं शती) और पंजाब के गुरु नानक (15 वीं शती) ने हिंदी में रचनाएँ की हैं। अनुमानतः नामदेव पहले सगुणोपासक...२ KB (१४५ शब्द) - ०४:४९, २५ जुलाई २०२१
- भई चहुं देस।। यह दोहा खुसरो ने अपने गुरु निजाम की मृत्यु पर बोला था, जिसमें उन्हें काल का ज्ञान भी हुआ तथा गुरु की मृत्यु की पीड़ा भी महसूस हुई। वे कहते...३ KB (२०९ शब्द) - ०३:५६, २९ अक्टूबर २०२३